शुक्रवार, 18 अप्रैल 2014

क़िस्त 002 : चन्द माहिए : डा0 आरिफ़ हसन ख़ान के

-----........----क़िस्त 2

6
आँखों से लहू बरसा
तुझ से जुदा हो कर
मैं जीने को तरसा
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7
जीने का मज़ा अब क्या
तू ने नज़र फेरी
वीरान हुई दुनिया
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8
कोई भी नहीं अपना
मेरी आँखों में
अब कोई नहीं सपना
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9
ये भी कोई जीना है
घुट घुट कर हर दम
बस आँसू पीना है
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10
सब आँसू पी लूँगा
तुझ को न ठेस लगे
मर मर के मैं जी लूँगा
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प्रस्तोता

आनन्द.पाठक
09413395592

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