tag:blogger.com,1999:blog-8881573028080804059.post5946073408384247500..comments2023-08-17T04:27:09.074-07:00Comments on शायरी की बातें...: उर्दू बह्र पर एक बातचीत : क़िस्त 48 [ बह्र-ए-मदीद]आनन्द पाठकhttp://www.blogger.com/profile/00352393440646898202noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-8881573028080804059.post-54266411917002471472022-05-28T23:14:45.491-07:002022-05-28T23:14:45.491-07:00इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.Balraj Katariahttps://www.blogger.com/profile/00960670056579972358noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8881573028080804059.post-60097887707771816672022-05-28T13:16:11.675-07:002022-05-28T13:16:11.675-07:00सर, यह जो आप मुसद्दस में A-B-A रूप बता रहे हैं, तो...सर, यह जो आप मुसद्दस में A-B-A रूप बता रहे हैं, तो यह बहरें दायरा-ए-मुक़्तलफ़ा से आती हैं, जिसमें खम्मासी और सबाई अरकान होते हैं, लेकिन इस दायरे का रूल यह है कि आख़िर में हर हाल में सबाई या सात हर्फ़ वाला रूक्न ही आएगा। <br /><br />तो A-B-A में अगर A खम्मासी या पांच हर्फ़ वाला रूक्न हो, जैसे कि फ़ऊलुन, तो यह A-B-A नहीं हो सकता है, बल्कि A-B-B होगा जहाँ B एक सबाई रुक्न है।<br /><br />बाक़ी आपने बड़ा कमाल का लॉग बनाया है, धन्यवाद इसका।Balraj Katariahttps://www.blogger.com/profile/00960670056579972358noreply@blogger.com