ग़ज़ल 020 :बयान-ए-हुस्न.....
बयान-ए-हुस्न-ओ-शबाब होगा
तो फिर न क्यों इज़्तिराब होगा ?
ख़बर न थी अपनी जुस्तजू में
हिजाब-अन्दर-हिजाब होगा !
कहा करे मुझको लाख दुनिया
सुकूत मेरा जवाब होगा
किसे ख़बर थी दम-ए-शिकायत
वो इस तरह आब-आब होगा ?
मैं ख़ुद में रह रह कर झाँकता हूँ
‘ कभी तो वो बे-नका़ब होगा !
किताब-ए-हस्ती पलट के देखो
कहीं ख़ुद का भी बाब होगा
न मुँह से बोलो, न सर से खेलो
अब और क्या इन्क़लाब होगा ?
करम तिरा बे-करां अगर है
मिरा गुनह बे-हिसाब होगा
वफ़ा की उम्मीद और उन से ?
सराब आख़िर सराब होगा !
खड़ा हूँ दर पे तिरे सवाली
ये ज़र्रा कब आफ़्ताब होगा ?
रह-ए-मुहब्बत में जाने कब तक
अदा-ख़िराज-ए-शबाब होगा
हयात-ए-पेचां की उलझनों में
छुपा कहीं मेरा ख़्वाब होगा
रहा अगर हाल यूँ ही ’सरवर’
तो हस्र मेरा ख़राब होगा !
-सरवर-
दम-ए-शिकायत =शिकायत के वक़्त
इज़्तिराब =घबड़ाहट/बेचैनी
हिजाब-अन्दर-हिजाब =एक पर्दे के अन्दर दूसरा पर्दा
सुकूत =ख़ामोशी
आब-आब =शर्म के मारे पानी-पानी
बेकरां =असीम/अपार
हयात-ए-पेचां =पेचदार ज़िन्दगी
सराब =मृग-तृष्णा/मरीचिका
ख़िराज-ए-शबाब =जवानी का कर्ज़
हस्र =नतीजा
आनंद जी, लाजावाब गजल पढवाई
जवाब देंहटाएंकहन की उचाईयों तक पहुँच पाना उस्तादों का काम है
सर्वर जी का संक्षिप्त परिचय भी दें
अगर पुराणी पोस्ट में दे चुके हों तो लिंक दें
धन्यवाद
अहा!!! आनन्द आ गया..पढ़ते पढ़ते ही गाने लगे...बहुत खूब..
जवाब देंहटाएंअनेक आभार इस प्रस्तुति के लिए.
जनाबे मुहतरम सरवर साहब की ख़िदमत में आदाब !
जवाब देंहटाएं… और आपकी क़लम को सलाम !
इतने बेहतरीन कलाम से रू ब रू कराने के लिए
आनन्द पाठकजी को शुक्रिया और दिली मुबारकबाद !
पूरी ग़ज़ल पसंद आई …
मैं ख़ुद में रह रह कर झाँकता हूँ
कभी तो वो बे-नका़ब होगा !
वफ़ा की उम्मीद और उन से ?
सराब आख़िर सराब होगा !
खड़ा हूँ दर पे तिरे सवाली
ये ज़र्रा कब आफ़्ताब होगा ?
वाह वाह !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
http://shabdswarrang.blogspot.com
वफ़ा की उम्मीद और उन से ?
जवाब देंहटाएंसराब आख़िर सराब होगा !
वाह !!
जनाब-ए-सर्वत साहब की क़लम का
एक और कमाल
लफ्ज़-लफ्ज़ उस्तादाना लहजा
बात बात अमीराना अंदाज़
अब ऐसी लियाक़त नहीं है क कुछ तब्सेरा कर पाऊँ
बस....सलाम कहता हूँ...
और
आनंद जी ...आपका बहुत बहुत शुक्रिया
जनाब वीनस केशरी जी/समीर जी/राजेन्द्र जी/मुफ़लिस जी
जवाब देंहटाएंआलिम जनाब "सरवर’साहेब की ग़ज़ल की इज्ज़त अफ़्ज़ाई पर बहुत ्बहुत शुक्रिया
जनाब वीनस जी :- सरवर साहब की एक मुख़्तसर ता’अर्रुफ़ इसी ब्लोग पर ३-१२-०९ को "दिलचस्प उर्दू अदाबी बातें -भाग १/२ में दिया है ,चाहें तो देख सकते हैं
मुख़लिस
आनन्द.पाठक