31
मेरा सब कुछ छूट गया
आई ये रुत कैसी
दिल मेरा टूट गया
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32
होटों को न खोलूँगा
तेरी ख़ुशी के लिए
जीवन भर रो लूँगा
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33
हर ठेस पे रिसता हूँ
तुझ से बिछड़ कर मैं
इक जख़्म सरापा हूँ
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34
पिघलेंगे ये पत्थर
इन पे अगर गुज़रे
जो गुज़री है मुझ पर
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35
दिल मेरा तोड़ चला
मैं ने जिसे चाहा
वो मुझको छोड़ चला
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डा0 आरिफ़ हसन ख़ान
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