बेबात की बात 09 : बह्र और वज़न दिखाने का सही तरीक़ा [क़िस्त 01]
पिछले अंक में में मैने एक चर्चा की थी कि जब ग़ज़लें हिंदी [ देवनागरी]
में लिखी जाने लगी तो क्या क्या मसले लेकर आईं। उन्ही मसलों में एक मसला
ग़ज़ल के --बह्र और वज़न -दिखाने के तरीक़े का भी है।
चूँकि ग़ज़ल उर्दू की एक काव्य विधा है अत: बहुत से नियम कायदे क़ानून उर्दू अरूज़ से सीधे लेलिए गए मगर हम हिंदी वाले बहुत कुछ अपने हिसाब से और अपनी सुविधा से एक अन्य व्यवस्ठा बना लिए हैं।
इस व्यवस्था में अर्कान को दिखाने के लिए
122--/212--1222 ---यानी computer की भाषा में Binary System जैसा कुछ। या फिर
लघु--दीर्घ--लघु--दीर्घ-- या 1SS--S1S--1SSS -आदि व्यवस्था बना ली
कुछ मित्रों ने तो अपनी सुविधा के लिए--ललाला--लाला -ललाला -लाला-जैसी व्यवस्था भी बना ली है।
मगर उर्दू वाले आज भी अपने अर्कान के नाम --फ़ेलुन--फ़ाइलुन--मफ़ाईलुन--
हरकत--साकिन--सबब-वतद आदि व्यवस्था पर भरोसा करते है।
उदाहरणत:--
उर्दू वाले बह्र-ए-मुतदारिक मुसम्मन सालिम बह्र को
फ़ाइलुन--फ़ाइलुन--फ़ाइलुन --फ़ाइलुन दिखाएंगे । जब कि हम हिंदी वाले [ सभी नहीं] इसी चीज़ को
212- -212-------212-----212- से दिखाते हैं ।
गड़बड़ तब हो जाती है जब हमारे कुछ मित्र इसी चीज़ को यूँ दिखाते है
212212212212 जो बह्र के स्वरूप को पहचानने में दिक्कत होती है। मात्रा भार वज़न बराबर हो सकता है
थाली में भोजन के अवयव सब हैं मगर परोसने का ढंग सही नहीं है।
उसी प्रकार
बह्र-ए-रमल मुसद्दस सालिम को उर्दू वाले
फ़ाइलातुन --फ़ाइलातुन --फ़ाइलातुन कर के दिखाएँगे । मगर हम हिंदी वाले इस को
2122-------- 2122------2122 कर के दिखाते हैं।
दोनॊ व्यवस्था में कोई अन्तर नही है । दोनों व्यवस्था एक ही बह्र को प्रदर्शित करते है ।
गड़बड़ तब हो जाती है जब हमारे कुछ मित्र इसी चीज़ को यूँ दिखाते है
2122212222122--ऐसे दिखाना ठीक नही है।
एक बार एक सज्जन ने
2122--1212--112 को इस प्रकार दिखा दिया
21221212112---ऐसे दिखाना ठीक नही है। कारण 21221212112 --जैसा कोई रुक्न ही नहीं है । तो भइया ऐसे क्यों दिखाते हो।
या
221--1222--221--1222 को
2211222 2211222 जैसे दिखाना ठीक नहीं है॥ कारण वही --2211222 -जैसा कोई रुक्न नही होता।
122 हो या 221 हो या 2121 हो या 1221 हो--यह सभी एक रुक्न को प्रदर्शित करते है एक इकाई को प्रदर्शित करते है एक वज़न को प्रदर्शित करते हैं।
एक बात और -कि यह व्यवस्था शुरुआती तौर पर नए नए लोगों के लिए तो ठीक हैं मगर Full Proof नहीं है । कारण -1- हम मुतहर्रिक हर्फ़ के दिखाने के लिए भी प्रयोग करते है और साकिन हर्फ़ दिखाने के लिए भी ।
221--2121--1221--2121 [ इस बहर को आप पहचानते होंगे।
221--का -1- और आख़िरी 2121 का -1- क्या एक ही है ? नहीं --पहला -1- [ मुतहर्रिक] है और आख़िरी -1- [ साकिन ] है मगर दिखाया दोनो को -1- से ही जाता है।
आप जानते है कि 122--या 212--या 1222 सिर्फ़ एक संख्या या डिजिट मात्र नहीं है अपितु यह किसी न किसी मान्य व वैध रुक्न का Numerical Representation मात्र हैऔर किसी बह्र में इनके क्रम निर्धारित रहते है। हम अपने मन से यह क्रम बदल नही सकते। इन्हे मनमाने ढंग से नहीं लिख सकते।
प्राय: लोगों को यह कहते हुए आप ने सुना होगा कि हम किसी 1 1 =2 कर सकते है । जी नहीं । हमेशा नहीं। यह कोई Mathematical operation नहीं है वैसे ही जैसे टेलिफ़ोन के नं पर Mathematical operation नहीं हो सकता।
हाँ यह सच है कि कभी कभी 1 1 =2 कर सकते हैं मगर उसकी कुछ शर्तें होती हैं। कुछ विशेष परिस्थितियाँ होती हैं । अभी यहाँ उस पर विवेचना नहीं करूँगा।
हमारे एक मित्र थे -प्राण शर्मा जी । अच्छे ग़ज़लकार थे। ख़ुदा मग़फ़िरत करे। उनसे प्राय: बात होती थी। वह कहा करते थे--पाठक जी ! ग़ज़ल के ऊपर बह्र [ वज़न] लिखने का कोई मतलब नहीं है।जो अरूज़ के जानकार है वह बह्र समझ जातें है और जो जानकार नहीं है उन्हे लिखने न लिखने से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता। मैं हर बार हँस कर यही कहता था ---क्या करें सर ! ये मंच वाले मानते ही नहीं इसरार करते रहते है। ख़ैर।
सवाल यह कि --तो फिर हम क्या करें।
1- अगर आप बह्र वज़न और रुक्न जानते हैं या समझते हैं तो ग़ज़ल के ऊपर ज़रूर लिखे और हो सके तो उस रुक्न [ वज़न] का नाम भी लिख दें
2- अगर नहीं जानते हैं तो बेहतर है कि न ही लिखें । गडम गड कर के न लिखें।
आप पाठकों की राय क्या है -ज़रूर बताएँ।
सादर
-आनन्द.पाठक-
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें