ग़ज़ल 014 : डूबता है दिल कलेजा मुँह को आया जाए है......
डूबता है दिल कलेजा मुँह को आया जाए है
हाय! यह कैसी क़ियामत याद तेरी ढाए है !
इश्क़ की यह ख़ुद फ़रेबी!अल-अमान-ओ-अल हफ़ीज़ !
जान कर वरना भला खु़द कौन धोखा खाए है
आँख नम है ,दिल फ़सुर्दा है ,जिगर आशुफ़्ता खू
लाख समझाओ वा लेकिन चैन किसको आए है ?
क्या तमन्ना ,कौन से हसरत ,कहाँ की आरज़ू ?
रंग-ए-हस्ती देख कर दिल है कि डूबा जाए है !
ऐतिबार-ए-दोस्ती का ज़िक्र कोई क्या करे ?
ऐतिबार-ए-दुश्मनी भी अब तो उठता जाए है !
इस दिल-ए-बे-मेह्र की यह कज अदायी देखिए
आप ही शिकवा करे है ,आप ही पछताए है !
बेकसी तो देखिये मेरी राह-ए-उम्मीद में
दिल को समझाता हूँ मैं और दिल मुझे समझाए है !
क्या शिकायत हो ज़माने से भला ’सरवर’ कि अब?
मैं जहाँ हूँ मुझसे साया भी मिरा कतराए है !
-सरवर-
कज अदायी = बेरुख़ी
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ये ग़ज़लें, एकाएक लगा कि उस्ताद ज़ौक साहब से रूबरू हूँ। ऐसी ग़ज़लें बहुत कम पढ़ने को मिलती हैं जिनका हर ईक शेर बार-बार पढ़ने को दिल कहे।
जवाब देंहटाएंजो ग़ज़ल कहने का सलीका सीखना चाहते हैं उन्हें सरवर साहब को जरूर सुनना और पढ़ना चाहिये।
बहुत बढ़िया गजले हैं. बहुत खूब.
जवाब देंहटाएंइस दिल-ए-बे-मेह्र की यह कज अदायी देखिए
जवाब देंहटाएंआप ही शिकवा करे है ,आप ही पछताए है !
बेकसी तो देखिये मेरी राह-ए-उम्मीद में
दिल को समझाता हूँ मैं और दिल मुझे समझाए है !
क्या शिकायत हो ज़माने से भला ’सरवर’ कि अब?
मैं जहाँ हूँ मुझसे साया भी मिरा कतराए है !
क्या कहूँ इन शेरोन ने लाजवाब कर दिया
आते आते ही तो आयेगा हमें सब्र हुज़ूर
खेल ऐसा तो नही दिल का लगाना साहिब !
अब इसके लिए क्या कहूँ जी दिल खुश हो गया
सरवर साहब को पढवाने के लिए शुक्रिया
दोनों गज़लें बहुत उम्दा..आपका आभार इन्हें प्रस्तुत करने का.
जवाब देंहटाएंआदरणीय तिलक राज जी/भारतीय नागरिक जी/केसरी जी/समीर जी
जवाब देंहटाएं"सरवर" साहब की ग़ज़ल पसन्द आई बहुत बहुत धन्यवाद
सादर
आनन्द.पाठक