शुक्रवार, 8 जनवरी 2010

ग़ज़ल 004 : दिल दुखाए कभी, जाँ जलाए कभी--

ग़ज़ल ०४

दिल दुखाए कभी ,जाँ जलाए कभी, हर तरह आज़माए तो मैं क्या करूँ ?
मैं उसे याद करता रहूँ हर घड़ी , वो मुझे भूल जाए तो मैं क्या करूँ ?

हाले-दिल गर कहूँ मैं तो किस से कहूँ,और ज़बाँ बन्द रखूँ तो क्यों कर जियूँ ?
यह शबे-इम्तिहां और यह सोज़े-दुरूं ,खिरमने-दिल जलाए तो मैं क्या करूँ ?

मैने माना कि कोई ख़राबी नहीं , पर करूँ क्या तबियत ’गुलाबी’ नहीं
मैं शराबी नहीं ! मैं शराबी नहीं ! वो नज़र से पिलाए तो मैं क्या करूँ ?

सोज़े-हर दर्द है , साज़े-हर आह है , गाह बे-कैफ़ हूँ सरखुशी गाह है
मेरी हर आह में इक निहाँ वाह है ,इश्क़ जादू जगाए तो मैं क्या करूँ ?

कुछ ये खुद-साख़्ता अपनी मजबूरियाँ ,कुछ ज़माने की सौगा़त मेह्जूरियाँ
और उस पर कि़यामत कि ये दूरियाँ,चैन एक पल न आए तो मैं क्या करूँ ?

मुझको दुनिया से कोई शिकायत नहीं , झूठ बोलूँ मिरी ऐसी आदत नहीं
ये हक़ीक़त है यारो ! हिकायत नहीं ,बे-सबब वो सताए तो मैं क्या करूँ ?

ज़हमते - ज़ीस्त है ,दौर-ए-अय्याम है , ना-मुरादी मिरा दूसरा नाम है
क्यों ग़मे-मुस्तक़िल मेरा अन्जाम है,जब क़ियामत ये ढाए तो मैं क्या करूँ ?

ख़ुद ही मैं अक़्स हूँ ,ख़ुद ही आईना हूँ ,मैं बला से ज़माने पे ज़ाहिर न हूँ
हाँ ! छुपूँ गर मैं ख़ुद से तो कैसे छुपूँ यह ख़लिश जो सताए तो मैं क्या करूँ ?

शायरी मेरी ’सरवर’ ये तर्ज़े-बयाँ ,यह तग़ज़्ज़ल , तरन्नुम ,यह हुस्ने-ज़बाँ
सब अता है ज़हे मालिक-ए-दो जहाँ! गर किसी को न भाए तो मैं क्या करूँ ?
-सरवर-

ज़हमते-ज़ीस्त =ज़िन्दगी के झमेले सोज़े-दुरूँ =दूरियों की तपिश/जलन
नामुरादी =असफलताएँ ख़िरमन-ए-दिल = दिल का पैदावार
बेसबब =बिना मतलब बे-कैफ़ = चिन्ता ग्रस्त
ग़मे-मुस्तक़िल = स्थाई ग़म सरखुशी =हलका नशा
निहाँ =छिपा हुआ ख़ुद-साख़्ता= अपनी बनाई हुई
महजूरियाँ =वियोग/विरह हिकायत = कथा-कहानी
दौर-अय्याम = समय का फ़ेर तग़ज़्ज़ल =ग़ज़लीयत

5 टिप्‍पणियां:

  1. दिल दुखाए कभी ,जाँ जलाए कभी, हर तरह आज़माए तो मैं क्या करूँ ?
    मैं उसे याद करता रहूँ हर घड़ी , वो मुझे भूल जाए तो मैं क्या करूँ ?
    बहुत उम्दा

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  2. lijiye aa gaye aapke aadesh par aapke blog par. Bahut sarahaniy kaary kar rahe hain hai aap.
    Badhai!

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  3. Anand Paathak ji
    Van varsh ki shubhkamna ke saath saath aapko dohri Badhayi is blog se Hindi Jagat ko ro-b-roo karwane ke liye. Vaise satpalji ke Blog par bhi shero-shayri ka umda sahity padne ko milta rahta hai..par is the shubh aggaman hamre liye sukoon ka baaiz ban gaya hai. Khas karke jo matlab hindi mein pesh kiye hain vo lajawaab hai.
    sakriya kaam se liye daad
    Devi Nangrani, NJ

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  4. आ० सतपाल जी/अमित भाई/नागरानी जी
    उत्साह वर्धन के लिए आप लोगो का बहुत-बहुत धन्यवाद
    और अमित भाई आप आए तो एक शे’र याद आया.......
    कभी उनको..कभी अपने घर को ..(पूरे शे’र से तो आप बाख़ूबी वाक़िफ़ होंगे)

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